अगर लोगों को निवेश के लिए स्टॉक मार्केट को चुनने को कहा जाय, तो 90 % लोग इससे डरेगें। क्योंकि उन्हें लगता है कि, शेयर बाजार में पैसा डूब जाता है।
शेयर बाजार की वास्तविक दुनिया क्या होती है, इसे कम लोग ही समझते हैं। इसलिए आम लोग इससे दूर ही भागते हैं।
स्टॉक मार्केट की असली दुनिया
जब आप निवेश के लिए स्टॉक मार्केट को चुनते हैं तो यह जरूरी नहीं है कि, पैसा केवल खरीद और बिक्री पर ही लगाया जाय।
शेयर बाजार के बारे में लोग केवल इतना ही जानते हैं कि, यहॉं पर केवल शेयर खरीदा और बेचा जाता है। लोग इस बात को महसूस ही नहीं कर पाते है कि, शेयर खरीदने का असली मतलब होता है कि, किसी कंपनी की हिस्सेदारी खरीदना।
बोलचाल की भाषा का प्रयोग करें तो आप किसी कंपनी का शेयर खरीदकर उसके मालिक बनते हैं। इसलिए कंपनी में आपका जितना हिस्सा होगा उसी के अनुरूप आपको कंपनी में लाभ का प्रतिशत मिलेगा इसे डिवीडेंड कहते है।

मान लीजिये कि, XYZ कंपनी में आपकी हिस्सेदारी 0.1 प्रतिशत की है। 2020 -21 में कंपनी का खर्चा निकाल कर 100 करोड़ का शुद्ध लाभ हुआ है। तो इसमें से 10 लाख रुपये आपको प्राप्त हो जायेगें।
अगर कोई कंपनी नई होती है तो डिवीडेंड न देकर कंपनी को और बड़ा करने में पैसा लगाती है। तो इस प्रकार से भविष्य में आपके शेयर की वैल्यू बढ़ जाती है और आप अपने शेयर बेच कर कई गुना कमा सकते हैं।
निवेश के लिए स्टॉक मार्केट कैसे चुनें ?
आप शेयर बाजार में दो तरह के रोल अदा कर सकते हैं, पहली कि, आप किसी अच्छी कंपनी की हिस्सेदारी खरीदकर लम्बे समय तक लाभ कमायें।
दूसरा कि, आप शेयर की खरीद और बिक्री करके कम समय में लाभ कमायें । इस काम में रिस्क ज्यादा होता है और साथ में मुनाफा भी अधिक होता है।
ज्यादा रिस्क और ज्यादा मुनाफा जहॉं होता है उसे लोग जुआँ समझते हैं। लेकिन मेरा मानना है कि, जहॉं पर केवल और केवल किस्मत का सहारा हो वह जुआँ होता है।
शेयर की खरीद और बिक्री में आपका फायदा होगा या नुकसान, यह आपकी समझ पर निर्भर करता है।
शेयर बाजार का गिरना और चढ़ना, बाहरी सामाजिक गतिविधियों पर भी निर्भर करता है। जैसे चुनाव में एक पार्टी के जीतने पर शेयर बाजार ऊपर जाता है और दूसरी पार्टी के जीतने पर नीचे चला जाता है।

इसलिए लोग इसमें पैसा लगाना जुआँ खेलने से कम नहीं समझते। लेकिन मैं कहता हूँ कि, गाड़ी चलाना या किसी गाड़ी में सफर करना भी उतना रिस्क उठाना है। जितना कि शेयर बाजार में पैसा लगाना। फर्क केवल इतना है कि, गाड़ी चलाते वक्त हम ज्यादा सजक रहते हैं जबकि पैसा लगाते हुए हम उतना सजक नहीं रह पाते हैं।
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शेयर बाजार में पैसा निवेश करना अधिकतर जोखिम भरा इसलिए होता है क्योंकि लोग भेड़-चाल चलने लगते हैं।
भेड़ चाल का मतलब है कि, हमारे जानने वाले ने अगर ये शेयर खरीदा और हम भी वही शेयर खरीद लेते हैं बिना किसी जानकारी के।
कौन सा शेयर खरीदना या बेचना है यह अन्य को देखकर जो करता है उसे ही नुकसान होता है।
निष्कर्ष –
मेरा मानना है कि, नजदीकी फायदा देखने के पहले हमें दूर का नकुसान सोचना चाहिए। क्या पता किसी अच्छी कंपनी का शेयर आज हम बेंच लें तो आगे चलकर उससे मिलने वाले लाखों करोडो के लाभ से वंचित रह जायें।
ज्यादा नहीं अभी सात वर्ष पहले की बात है एक समय था जब मैं 6 हजार रुपये में 1 Bitcoin खरीदने जा रहा था। अगर वह मैं खरीद लेता तो 6 हजार के 35 लाख रुपये हो गये होते और केवल सात वर्ष में ही।
खैर, मुझे अफसोस नहीं है कि, मैं अपने पैसे को 600 गुना नहीं बढ़ा पाया लेकिन यह कमी एक सबक जरूर सिखा गयी है।
क्रिप्टोकरेंसी के बारे में हम अन्य पोस्ट में चर्चा करेगें।
मैं यहाँ पर आपको समझाना चाहता हूँ कि, निवेश के लिए स्टॉक मार्केट को चुनना कोई जुआँ नहीं है।