डॉव जोंस शेयर मार्किट का नाम आपने सुना होगा, लेकिन ये कौन सी मार्केट है या इसे जानने की जरूरत ही क्या है, ये कम लोग ही समझते हैं। आजकल दुनिया के किसी कोने की घटना पूरी दुनिया पर असर डाल सकती है और शेयर बाजार भी इस चीज से अछूता नहीं रहा है।
डॉव जोंस शेयर मार्किट के बारे में जानना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि यह अमेरिका से जुड़ा हुआ है और वहाँ का प्रभाव सबसे अधिक भारत पर ही पड़ता है।
इस प्रभाव का कारण है टाइम जोन का विभाजन !
डॉव जोंस शेयर मार्किट
हम आपको बतायें कि डॉव जोंस शेयर मार्किट वास्तव में कोई शेयर बाजार नहीं है, बल्कि यह एक इंडस्ट्रियल एवरेज है और आसान भाषा में कहें तो जैसे भारत में निफ्टी, बीएसई आदि इंडेक्स हैं उसी प्रकार से डॉव जोंस शेयर मार्किट या डॉव जोंस इंडस्ट्रियल एवरेज भी है।
इसमें दुनिया की 30 बड़ी कंपनियां शामिल हैं, इसमें ऐप्पल, वॉलमार्ट, माइक्रोसॉफ्ट जैसी दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियां शामिल हैं।

अगर आप इनके उतार और चढ़ाव पर नजर बना पाये तो आपके अन्दर शेयर बाजार की अच्छी समझ विकसित हो जायेगी।
डॉव जोंस शेयर मार्किट का प्रभाव
भारतीय समयनुसार अमेरिकन शेयर बाजार लगभग शाम को 7 बजे खुलकर रात में 1:30 बजे बंद होता है और उसके 8 घंटे बाद भारतीय शेयर बाजार भी खुलता है।
यदि आप, डॉव जोंस या अन्य अमेरिकन इंडेक्स पर नजर रखें तो आप भारतीय शेयर बाजार के कुछ उतार-चढ़ाव को पहले से ही भांप पायेगें।
इस बात को मैं आपको एक उदाहरण के माध्यम से समझाता हूँ।
मान लीजिये कि, आज आपने देखा कि इंटेल और माइक्रोसॉफ्ट में गिरावट दर्ज होती है और रात में 1:30 पर यह दोनों कंपनियां निचले स्तर पर बंद होती है।
तो इसकी सम्भावना बनती है अगले दिन भारतीय बाजार की कम्प्यूटर और सॉफ्टवेयर से जुडी कंपनियों में गिरावट आयेगी।
अगर अमेरिकन मार्केट कई दिन तक अपनी स्थिति को दोहराती है तो इसकी सम्भावना और अधिक बन जाती है कि, आपका अनुमान सही बैठ जाये।
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इसलिए डॉव जोंस शेयर मार्किट या इंडेक्स को आप नजर अंदाज नहीं कर सकते।
इसे कुछ लोग डाइजों शेयर मार्किट के नाम से भी पहचानते हैं।
वास्तव में डॉव जोंस या डाइजों शेयर मार्किट एक ही हैं और यह एक शेयर बाजार न होकर एक प्रकार से इंडेक्स हैं जो हमें बाजार की गतिविधियों को बताते हैं।