7 वें वेतन आयोग के बाद पारिवारिक पेंशन के नियम में समय-समय पर बदलाव आते रहे हैं जिनका प्रभाव लाखों परिवारों पर पड़ा है। पारिवारिक पेंशन के बारे में बतायें तो, यह वह पेंशन होती है जो सरकारी कर्मचारी के न रहने पर उसके परिवार को दी जाती है।
इसे दो श्रेणी में बांटा गया है श्रेणी 1 और श्रेणी 2 ! मोटे तौर पर बतायें तो श्रेणी 1 में शादीशुदा लोगों पर नियम बनें हैं वहीं पर श्रेणी 2 में अविवाहित पर आश्रित लोगों की चर्चा हुई है।
6 वें वेतन आयोग की तुलना में 7 वें वेतन आयोग के बाद पारिवारिक पेंशन में वृद्धि हुई है। इसके अलावा इसमें जो प्रमुख बदलाव हुआ है उसकी चर्चा आगे की जा रही है।
7 वें वेतन आयोग के बाद पारिवारिक पेंशन के बदलाव
एक प्रमुख बदलाव जो 7 वें वेतन आयोग के बाद पारिवारिक पेंशन में देखने को मिला वह यह था। कि, 7 वर्ष की न्यूनतम सेवा लिमिट को सरकार ने 1 अक्टूबर 2019 को समाप्त कर दिया।
आसान शब्दों में बतायें तो सरकारी कर्मचारी को कार्य करते हुए 7 वर्ष बीत चुके हों और उसकी मृत्यु हो जाये, तब उसके परिवार को अंतिम प्राप्त वेतन का 50% मिलना शुरू होता था।
यदि 7 वर्ष से कम कार्यरत रहा हो और उसकी मृत्यु हो जाये। तब उसके परिवार को अंतिम प्राप्त वेतन का केवल 30% प्रतिमाह ही दर से पेंशन मिलना शुरू होता है।
7 वें वेतन आयोग के बाद पारिवारिक पेंशन में बदलाव करते हुए सरकार ने 7 वर्ष कार्यरत की शर्त को ख़त्म कर दिया है। अब परिवार को 50 प्रतिशत की बढ़ी हुई दर से ही पेंशन मिलेगी।

वास्तव में फैमिली पेंशन दो रेट पर मिलती है।
यदि किसी कर्मचारी की मृत्यु सर्विस में रहते हुए होती है तो उसके लास्ट बेसिक पे का 50% पेंशन परिवार को मिलता है। इसके अलावा यदि सरकारी कर्मचारी रिटायर हो चुका है और उसे 67 वर्ष की उम्र न पूरी की हो तब भी उसके परिवार को बढ़ा हुआ पेंशन मिलेगा।
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दूसरा साधारण रेट पर पेंशन मिलता है जो लास्ट बेसिक पे का 30 प्रतिशत होता है।
7 वें वेतन आयोग के बाद पारिवारिक पेंशन में अन्य, जो मुख्य बदलाव हुआ है इसकी लिमिट को बढ़ाना।
दूसरा बदलाव
7 वें वेतन आयोग के बाद पारिवारिक पेंशन में दूसरा बदलाव 12 फरवरी 2021 को हुआ। इस समय इसके अधिकतम लिमिट को बढ़ाया गया जो पहले काफी कम था।
इनहांस रेट या बढ़े हुए रेट पर इसे 1 लाख 25 हजार रुपये कर दिये गये हैं। इसके अलावा नार्मल रेट की अधिकतम लिमिट की 75000 प्रति माह कर दिया गया है।
अभी हाल ही एक बदलाव आया है जिसके तहत यदि सरकारी कर्मचारी अपनी सेवा अवधि के दौरान लापता हो जाता है। तब उसके परिवार को तत्काल पारिवरिक पेंशन का लाभ प्रदान किया जायेगा।
पहले के नियम के अनुसार या व्यक्ति मृत पाया गया हो अथवा 7 वर्ष तक लापता रहा हो उसके बाद ही परिवारिक पेंशन की प्रक्रिया शुरू होती थी।
लेकिन अब सरकार ने इस नियम को बदल दिया है जो कि, 7 वें वेतन आयोग के बाद पारिवारिक पेंशन में महत्वपूर्ण बदलाव है।नियम में ये भी बताया गया है कि, यदि लापता व्यक्ति लौट आता है तो दिया गया पेंशन उसकी सैलरी से काट लिया जायेगा।