बैंक सखी और बीसी सखी में क्या अंतर है ? जानिए सही जानकारी

बैंक सखी और बीसी सखी में क्या अंतर है ? इसकी सही जानकारी 90 % लोगों के पास नहीं है। कई लोग कहते हैं कि, बैंक सखी और बीसी सखी एक ही होते हैं। लेकिन अधिकतर लोग इसे अलग-अलग मानते हैं।

वास्तव में सच्चाई क्या है आप आगे जानने वाले हैं। बैंक सखी और बीसी सखी में क्या अंतर है इसे जानने में दिक्कत आती है क्योंकि लोगों के पास आधी अधूरी जानकारी रहती है।

पहले हम इसका थोड़ा इतिहास समझ लेते हैं जिससे इसका अंतर समझना आसान हो जायेगा।

हमारे देश में 70 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्र में रहती है। उन सब तक बैंक की सेवायें पहुँचाना बहुत मुश्किल कार्य था। इस समस्या को दूर करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने जनवरी 2006 बैंकिंग कॉरेस्पोंडेंट (bc) नियुक्त करने का निर्देश दिया।

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत इसको बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों का योगदान रहा है। यह इतिहास बताने के पीछे मेरा मकसद है राज्य सरकारों ने इसे पंचायती स्तर पर लागू किया और एक ही पद को bank सखी या बीसी सखी कहा जाने लगा।

बैंक सखी और बीसी सखी में क्या अंतर है ?

बैंक सखी और बीसी सखी में क्या अंतर है

अभी तक आपने इसका जो इतिहास जाना है उस आधार पर आप कह सकते हैं कि, bank सखी और BC सखी एक ही होते हैं।

लेकिन जब आप गूगल और यूट्यूब पर सर्च करते हैं कि, बैंक सखी और बीसी सखी में क्या अंतर है ? तो तो आपको कई जवाब मिल जाते हैं जैसे कि, bank सखी बैंक में बैठ कर काम करती है और BC सखी घर-घर जाती है।

और अन्य अंतर बताये जाते हैं कि, बीसी सखी को पैसा निकालने पर कमीशन मिलता है और bank सखी को मानदेय मिलता है।

मैं इन बातों को झुठला नहीं रहा हूँ बल्कि मैं, यह समझा रहा हूँ कि, ये सारे कार्य बैंक कॉरेस्पोंडेंट (बीसी) के होते हैं। और ये सारी बातें बीसी सखी और बैंक सखी के अंतर को स्पष्ट नहीं करते है।

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वास्तव में बीसी सखी और बैंक सखी क्या होते हैं हम आपको आसान भाषा में बता रहे हैं।

बैंक सखी और बीसी सखी

बैंक सखी और बीसी सखी में क्या अंतर है इसे हम इस प्रकार से समझ सकते हैं कि, प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक से अधिक स्वयं सहायता समूह होते हैं। इन्ही समूह में से किसी एक महिला को बैंक सखी के रूप में चुना जाता है।

यह मुख्य रूप बैंक की शाखा में बैठती हैं। इनका कार्य होता है कि, स्वयं सहायता समूह के सदस्यों का वित्तीय लेनदेन में मदद करना।

22 मई 2020 में उत्तर प्रदेश सरकार ने बीसी सखी योजना की शुरुआत की और इनका मुख्य उद्देश्य बैंक की सुविधा को घर-घर पहुँचाना था। इसमें काम करने वाली महिलाओं को बीसी सखी कहा जाता था।

इस प्रकार से आप समझ सकते हैं कि, उत्तर प्रदेश या कुछ राज्यों में बीसी सखी और बैंक सखी अलग हो सकते हैं। बल्कि इसके अलावा कई अन्य क्षेत्रों के बीसी सखी को बोल-चाल की भाषा में bank सखी कहते हैं।

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