nps in hindi – नेशनल पेंशन स्कीम में शामिल होने के पहले इसे जरूर पढ़ें

नेशनल पेंशन स्कीम(nps in hindi) क्या है? अन्य पेंशन प्लान की तुलना में इसमें क्या विशेष लाभ प्राप्त है?

इन सब सवालों का जवाब आपको मिलेगा।

एक रिटायरमेंट योजना है, जिसे भारत सरकार 2004 में लेकर आयी।

शुरूआत में ये योजना, सिर्फ सरकारी कर्मचारियों के लिए ही थी। किन्तु 2009 में Pension Fund Regulatory and Development Authority (PFRDA) ने इसे आम नागरिकों के लिए भी खोल दिया।

अब कोई भी आम नागरिक इसमें शामिल हो सकता था। यहाँ तक कि, इस योजना में NRI (नॉन रेजिडेंट) भी शामिल हो सकते है।(nps in hindi)

इसमें शामिल होने वाले लोगों की चार कटैगरी बनाई गयी। इसमें खाता खुलवाते वक्त किसी एक कटैगरी को दर्शाना होता है।

ये चार कटैगरी हैं।

1 – केंद्र सरकार के कर्मचारी

2 – राज्य सरकार के कर्मचारी

3 – निजी क्षेत्र के कर्मचारी

4 – आम नागरिक

NPS(nps in hindi) में दो प्रकार के खाते खोले जाते है। जिन्हे टियर 1 और टियर 2 कहा जाता है।

टियर 1 खाता आपका मुख्य होता है। जिस पर आपको PRAN (Permanent Retivement Account Number) मिलता है।

अगर आपका टियर 1 खाता है तभी आप टियर 2 खाता खुलवा सकते हैं। आपको टियर 1 खाते पर ही इनकम टैक्स से छूट मिलती है।

जबकि, टियर 2 खाते में छूट प्राप्त नहीं है। अगर आप दोनों खाते खुलवाते है, तो आपका PRAN दोनों खातों से जुड़ा होना चाहिए।

खाता कहाँ खुलवाए ?(nps in hindi)

इसमें से किसी न किसी कटैगरी में शामिल होकर इस योजना का लाभ आप ले सकते हैं। खाता खुलवाने के लिए सरकार ने कुछ खास जगह बनाई है। जिसे हम pop कहते है।

अलग तरीके से एक ये आपके फंड मैनेजर हैं। फंड मैनेजर क्या होता है?

इसका उत्तर है कि, जो आपके जमा किये गये पैसे से फंड बनकर तैयार हुआ है उसे कहाँ निवेश करना है। ये फंड मैनेजर निर्धारित करता है।

में कुछ अधिकार आपको भी दिया जाता है। जिससे आप चुन सकें कि, आपका पैसा कहाँ निवेश किया जाय। इसी पर हम आगे विमर्श करेगें।

nps in hindi

पहले आप इतना समझ लीजिये कि, सरकार ने में खाता खुलवाने के लिए फंड मैनेजर बनायें है। वर्तमान में ये सात है।

  • LIC
  • HDFC
  • UTI Retirement Solution
  • ICICI Prudential Pension Fund
  • SBI Pension Fund
  • आदित्य बिरला कैपिटल
  • कोटक महिंद्रा बैंक

अगर आप बाद में पेंशन फंड मैनेजर बदलना चाहें तो आप इसे बदल सकते है। अब आपको और गहराई से समझना होगा।

जहाँ तक मुझे समझ है। मैं इसे PPF और mutual फंड का मिला हुआ रूप समझता हूँ।

जिस प्रकार से mutual फंड में आपको एक फंड मैनेजर मिलता था और वही निर्धारित करता था कि , आपका पैसा कहां लगाना है। इसी प्रकार से इसमें भी ऑप्शन है किन्तु, इसका थोड़ा अलग रूप है।

इस फंड का पैसा कहाँ जाता है। उसे 4 भागों में विभाजित किया गया है।

1 – Low Risk (कम खतरा) –

इसमें फंड का पैसा सरकारी बांड में लगाया जाता है। जिसमे कम खतरा रहता है।

2 – Moderate Risk (मध्यम खतरा) –

इसमें कारपोरेट बांड में निवेश किया जाता है। इसमें low risk से अधिक मुनाफा हो सकता है।

3 – High Risk (अधिक खतरा) –

इसमें आपका पैसा equity और शेयर बाजार में लगाया जाता है। इसमें ज्यादा मुनाफा की संभावना है किन्तु, खतरा भी अधिक है।

4 – Very High Risk (अत्यधिक खतरा) –

इसका पैसा विनिर्माण एवं अन्य जगहों पर लगाया जाता है जोकि, शेयर बाजार से भी अधिक मुनाफा दे सकते है।

अब आपको समझ में आ गया होगा कि, आपका पैसा कहाँ-2 निवेश हो सकता है।

mutual फंड से अलग यहाँ पर आपको 2 विकल्प दिए जाते है।

1 – एक्टिव choice

2 – ऑटो choice


एक्टिव चॉइस में आपके पास आजादी होती है कि, आप इसे खुद ही इसे चुन सके कि, आपका पैसा कहाँ निवेश होगा जबकि, ऑटो चॉइस में निवेश की जिम्मेदारी कम्पनी को सौंप देते है।

एक्टिव choice (nps in hindi) –

जैसा कि, हमने पहले बताया था कि, ” फंड का निवेश कहाँ किया जाय” इस बात का कुछ अधिकार आपको भी दिया जाता है। लेकिन इसकी भी कुछ शर्तें होती है।

एक्टिव चॉइस में आप इस बात का निर्णय लेते हैं कि, आपके फंड का कितना प्रतिशत कहाँ निवेश किया जाय।

उदाहारण(nps in hindi) –

रमेश के पास 2 लाख का फंड है और उसने एक्टिव चॉइस को चुना। रमेश ने निर्णय लिया कि, उनके फंड का 50% हाई रिस्क में लगे, 10% वैरी हाई रिस्क में लगाया जाय। 20% लो रिस्क और बाकी का 20% मॉडरेट रिस्क में लगे।

इस प्रकार से रमेश का 1 लाख रुपये equity में लगेगा। 20 हजार हाई रिस्क में और 40-40 हजार रुपये सरकारी बांड और कारपोरेट बांड में निवेश किया जायेगा।

जैसा कि, पहले बताया गया है कि, इसमें कुछ शर्तें होती हैं इसे समझते हैं।

आप 50 वर्ष की उम्र तक equity में अधिकतम अपने फंड का 75% ही लगा सकते हैं। इसके बाद हर वर्ष अधिकतम बिमित 2.5% घटती रहती है।

अर्थात आप 51 वर्ष में 72.5 % 52 वें वर्ष में 70% 53 वें वर्ष में 67.5% इसी प्रकार से आपकी लिमिट घटती जाती है और जब आप 60 वर्ष के हो जाते हो तो equity में पैसा निवेश करने की लिमिट घट कर 50% ही रह जाती है।

उम्रइक्विटी (लिमिट)
UP To Years 50 75%
51 Years 72.5%
52 Years 70%
53 Years 67.5%
54 Years 65%
55 Years 62.5%
56 Years 60%
57 Years 57.5%
58 Years 55%
59 Years 52.5%
60 Years & Above 50%

जैसा कि, आपने पिछले उदाहारण में देखा रमेश के पास 2 लाख का फंड है तो वह अपने 50 वर्ष के उम्र में 1.5 लाख रुपये equity (शेयर) में निवेश कर सकता है। अगर रमेश की उम्र 60 वर्ष हो जाती है, तो केवल 1 लाख रुपये ही निवेश कर पायेगा।

ऑटो चॉइस (Auto Choice/ nps in hindi)

अगर आप निवेश के माथा पच्ची से बचना चाहते है और कंपनी के expert पर भरोसा है, तो आप ऑटो चॉइस ले सकते है। इसमें भी आपके पर तीन विक्लप होते है।

1 – Aggressive Life Cycle Fund

अगर आप ज्यादा रिस्क लेकर अधिक लाभ कमाना चाहते है, तो आप इसे चुन सकते हैं। यहाँ पर भी आप शेयर में निवेश अपने फंड का 75% ही कर सकते है। लेकिन उम्र की सीमा अधिकतम 35 वर्ष है।

उम्रइक्विटी (लिमिट)
UP To 35 Years 75%
40 Years 55%
45 Years 35%
50 Years 20%
55 Years 15%

35 वर्ष के बाद अधिकतम सीमा 4% से घटने लगती है। अर्थात 36 वें वर्ष आपके अधिकतम लिमिट 71%, 40 वें वर्ष 55% इसी की उम्र में आपके अधिकतम लिमिट 15% ही बचती हैं।

2 – Moderate Life Cycle Fund

अगर आप थोड़ा खतरा उठाना चाहते है, तो आप इसे चुन सकते है। इसमें equity में निवेश करने की अधिकतम लिमिट 50% है और उम्र 35 वर्ष है।

उम्रइक्विटी (लिमिट)
UP To 35 Years50%
40 Years40%
45 Years30%
50 Years20%
55 Years10%

इसके बाद यह 2% से घटने लगती है और 55 की उम्र में आपके पास अधिकतम लिमिट 10% ही रह जाती है।
अर्थात आप अपने 55 साल की उम्र में अपने फंड का 10% से ज्यादा equity में निवेश नहीं कर सकते है।

3 – Conservative Life Cycle Fund

अगर आप बिल्कुल भी खतरा नहीं डालना चाहते तो आप इसे चुन सकते है। इसमें 35 वर्ष की उम्र तक अपने फंड का अधिकतम 25% ही निवेश शेयर मार्केट में कर सकते है।

उम्रइक्विटी (लिमिट)
UP To 35 Years25%
40 Years20%
45 Years15%
50 Years10%
55 Years5%

इसके बाद से हर वर्ष 1% से अधिकतम लिमिट घटती जाती है और 55 वर्ष की उम्र तक यह मात्र 5% ही बचता है।

निकासी(nps in hindi)

जैसा कि, आप जानते हैं कि, यह एक पेंशन प्लान है और आप 60 वर्ष के पहले आप पैसे नहीं निकाल सकते है। फिर भी आप कुछ शर्तों के साथ थोड़ा पैसा 60 वर्ष के पहले आप भी निकाल सकते है।

गंभीर बीमारी, बच्चे की शादी, ग्रह निर्माण आदि के लिए आप फंड में आप मात्र 25% ही ले सकते है। आप पूरे जीवन में 3 बार ही पैसा निकाल सकते है और दूसरी बार पैसा निकालने में कम से कम 5 वर्ष का अंतर जरूर होना चाहिए।

Maturity (परिपक्वता लाभ)

nps in hindi

60 वर्ष की उम्र होने पर आप परिपक्वता लाभ ले सकते है। 60 वर्ष के होने पर आप इसमें से अपने फंड का 60% पैसा निकाल सकते है और बाकी 40% पैसे से आपकी पेंशन आना शुरू हो जाएगी।

अधिक जानें : lic jeevan shanti plan , LIC Jeevan Akshay VII Pension Plan 857 , मेडिक्लेम पॉलिसी फॉर फैमिली

अगर आपका फंड 2 लाख या इससे कम है तो आप पूरा पैसा निकाल सकते है।

PPF और NPS में अंतर

PPF में कोई नाबालिग भी खाता खुलवा सकता है जबकि, NPS(nps in hindi) में न्यूनतम उम्र 18 वर्ष रखी गई है।

PPF में आपको कितना ब्याज मिलेगा यह पहले से तय होता है जबकि, NPS में आपको क्या मिलेगा इसकी जानकारी आपको नहीं होती है।

PPF में खाता खुलवाने के बाद आप 15 वर्ष के बाद पैसा निकाल सकते है। जबकि, NPS में 60 वर्ष के होने के बाद ही आपको पैसा मिलेगा। इसका मतलब कि, अगर आप 20 वर्ष की उम्र में NPS में पैसा लगते है, तो आपका लॉक इन पीरियड 40 वर्ष का हो जाता है।

PPF में आपका पैसा कहाँ निवेश होगा। इस पर आपका कोई अधिकार नहीं है। जबकि, NPS(nps in hindi) में आपको इसका निर्णय लेने का अधिकार मिलता है।

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