टर्म इंश्योरेंश के लिए LIC महंगा क्यों है ! पूरी सच्चाई जानें

जब भी आप टर्म इंश्योरेंश खरीदने के बारे में सोंचते होगें तो एक चीज आपने जरूर गौर किया होगा कि, LIC के टर्म इंश्योरेंश का प्रीमियम बाकी कंपनियों के मुकाबले महँगा है।

आपके मन में सवाल अवश्य आता होगा कि, आखिर क्या वजह है कि, LIC के टर्म इंश्योरेंश का प्रीमियम बाकी कंपनियों से अधिक है।

बहुत से व्यक्ति यही सोंच कर कि LIC का टर्म इंश्योरेंश अधिक महंगा है, फर्जी कंपनियों के छलावे में आकर अपना पैसा गवां देते है।

इस चीज को कैसे पहचाने कि, क्या सही है और क्या छलावा जिससे हमारा निर्णय कभी गलत न हों। इसी को समझने के लिए हमारी टीम ने काफी रिसर्च किया और कुछ नतीजों पर पहुंची है।

इस पोस्ट पर आप अंत तक बने रहिये, तब आप इसकी बारीकी समझ पायेगें कि, टर्म इंश्योरेंश के लिए पैसा कहाँ इन्वेस्ट करना उचित है।

टर्म इंश्योरेंश कंपनियों की समस्या

कम्पनी कितनी भी बड़ी क्यों न हो वो क्लेम आपको तभी दे पायेगी जब उसके पास प्रीमियम के रूप में पैसा आया होगा।

चाहे कोई भी कम्पनी हो, बीमा कम्पनी हो, बैंक हो या कोई भी सरकारी या प्राइवेट कम्पनी हो।

जब तक उसको फायदा नहीं होगा तब तक वो कम्पनी चल नहीं पायेगी। जैसे बैंक आपके FD और RD पर तभी आपको बढ़िया ब्याज दे पायेगी जब वो ज्यादा लोन देगी और लोन में बैंक ज्यादा ब्याज दर पर आपको FD और RD इत्यादि पर ब्याज वापस करता है।

अगर बैंक में ज्यादा लोन नहीं होगा तो बैंक आपको FD और RD पर ज्यादा ब्याज नहीं दे पायेगी।

टर्म इंश्योरेंश

यही नहीं अगर बैंक को कस्टमर समय पर लोन वापस नहीं करेगा, तो बैंक आपको FD, RD सेविंग एकाउंट इत्यादि पर अच्छा ब्याज दर नहीं दे पायेगी तो, यही फार्मूला बीमा कंपनियों पर आधारित होता है।

उदाहरण से आपको चीजें बिल्कुल किल्यर हो जांएगी।

उदाहरण (टर्म इंश्योरेंश)

हम 30 साल के व्यक्ति की बात करें जो, 1 करोड़ का टर्म इंश्योरेंश खरीदता है।

40 साल के टर्म के लिए तो LIC में उसका प्रीमियम करीब – करीब एक साल में 40 हजार रुपये आयेगा।

और मान लीजिये कोई दूसरी कम्पनी है, जिसका नाम A है।

वहां पर उसका प्रीमियम 20 हजार रुपये सालाना आयेगा।

अब देखिये एक नियम ये कहता है कि, 1 हजार लोग जो बीमा खरीदते हैं, उसमें से 1 साल में औसतन 3 लोगों की मृत्यु होती है। यह हमारा सरकारी आंकड़ा बताता है।

यानी कि, 1 हजार लोगों ने 1 – 1 करोड़ की पालिसी ली है तो, LIC के पास 1 साल में 1 हजार पालिसी होल्डर से 4 करोड़ रुपये इकठ्ठा हो जायेगा।

वही कम्पनी A के पास करीब 2 करोड़ रुपये इकठ्ठा हो जायेगें।

पालिसी आपकी 1 करोड़ की थी। यानी टोटल 3 लोगों को बीमा कम्पनी को 3 करोड़ रुपये देना है।

LIC को और कम्पनी A को दोनों को ही 3 – 3 करोड़ रुपये एक साल में अवश्य देना पड़ेगा।

अब आइये 1 – 1 करके दोनों कंपनियों के वित्तीय स्थित को देख लेते है।

LIC ने तो 1 साल में 4 करोड़ रुपये 1 हजार लोगों को 1 करोड़ का टर्म इंश्योरेंश सेल करके अपने पास इकठ्ठा कर लिया था।

क्लेम उनको देना है। 4 करोड़ रुपये जो LIC को प्रीमियम का पैसा मिला था उसमें से बड़े आराम से 3 करोड़ रुपये लोगों को क्लेम दे पायेगी।

यानी 1 करोड़ रुपये बचेगा भी जो अन्य खर्चे में और बाकी चीजों में LIC आगे कम्पनी चला सकती है।

अब जो दूसरी कम्पनी थी। जिसका नाम A था। जिसकी वित्तीय स्थिति को देख लेते है।

देखिये उनको भी 3 करोड़ का क्लेम देना होगा क्योंकि 1 हजार में 3 लोगों की मृत्यु हुई है। कम्पनी ने प्रीमियम से टोटल 2 करोड़ रुपये ही इकठ्ठा किया था।

कम्पनी को 3 करोड़ का क्लेम देना है, तो यानी कि, कम्पनी के पास नार्मल तौर पर 1 करोड़ रुपये कम होगा तो, कम्पनी सारे क्लेम कैसे देगी और अगर कम्पनी सारे क्लेम दे देगी तो कम्पनी को नुकसान होगा। कम्पनी खर्चा कैसे चलायेगी ऐसे बहुत सारे सवाल आपके मन में भी आयेगें।

इसलिए कम्पनी को कोई न कोई क्लेम रोकना पड़ेगा। तो ये थी वजह कि, क्यों LIC का टर्म इंश्योरेंश का प्रीमियम बाकी कंपनियों के मुकाबले महँगा होता है।

टर्म इंश्योरेंश की वास्तविकता –

आपने तो देखा ही है कि, जब से भारत सरकार ने प्राइवेट कंपनियों को बीमा बाजार की इजाजत दी है। बहुत सारी कम्पनियां उभर कर सामने आयी हैं।

टर्म इंश्योरेंश

इस वजह से बीमा क्षेत्र में कम्पटीशन बहुत बढ़ा है। हर कंपनी अपने ग्राहक को लुभाने के लिए नये – नये आफर उनके सामने रखती है।

कभी – कभी तो वे इतना आफर देती है कि, उनका दिवालिया निकल जाता है।

अगर आप IRDA का डाटा देखें तो ये बात साबित हो जाती है। अब आपके सामने कई प्रकार के इंश्योरेंश प्लान मौजूद है जैसे यूलिप प्लान, एंडोमेंट प्लान, मनी बैक प्लान आदि। लेकिन जबसे बीमें की शुरुआत हुई थी।

तब केवल टर्म इंश्योरेंश प्लान ही बिकता था और बीमें का शुद्ध रूप भी यही है।

1956 के पहले सैकड़ों कम्पनियां यह काम करती थी फिर, 1956 में लगभग 250 बीमा कम्पनियों को मिलाकर LIC का निर्माण किया। तब से भारत वर्ष में LIC ही टर्म प्लान बेचती थी।

1990 के दशक में भारत सरकार ने प्राइवेट क्षेत्रों को इसके लिए खोल दिया और तब से आज तक सैकड़ों ऐसी कम्पनियां बन चुकी है जो टर्म प्लान बेचती हैं।

टर्म प्लान का वास्तविक मतलब तो आप समझते ही होगें। फिर भी मैं आपसे इतना बताना चाहता हूँ कि, टर्म प्लान का ये मतलब होता है कि, निश्चित टर्म के अंदर अगर पालिसी धारक की मृत्यु हो जाती है तो, उसके परिवार को दिये गये प्रीमियम की तुलना में बहुत अधिक धन प्राप्त होता है।

जिससे उसका परिवार आर्थिक संकट से बच जाता है। अगर पालिसी धारक की मृत्यु टर्म के बीच में नहीं होती है तो, पालिसी धारक को कंपनी की तरफ से एक रुपया भी नहीं मिलता है।

इस बात से आप टर्म प्लान के लाने का मकसद तो समझ ही गये होगें।

दूसरे शब्दों में कहें कि, यह एक कंपनी का वादा होता है कि, उनके न रहने पर उनके परिवार को आर्थिक सुरक्षा प्रदान की जाएगी।

अगर वही वादा पूरा न हो तो, आप समझ सकते है कि, आपका परिवार कितनी बड़ी मुसीबत में आ सकता है।

मेरा यहाँ पर उद्देश्य न तो किसी कंपनी का प्रचार करना है और न ही आपको डराना है। मैं तो केवल आपको जागरूक करना चाहता हूँ और एक बात बताना चाहता हूँ कि, अपने तत्कालिक लाभ के पहले दूर का नुकसान सोच लेना चाहिए।

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