कर्ज न चुकाने की सजा क्या हो सकती है ? क्या लोन लेने वाले व्यक्ति को अन्य अपराधियों की तरह जेल भेजा जा सकता है या फिर NPA हो जाने पर लिया गया लोन माफ कर दिया जायेगा, आज आपको इसकी सही जानकारी मिलेगी।
आप कल्पना कीजिये कि, एक गरीब इंसान जो कर्ज के बोझ तले दबा हो और साथ ही उसके मन में कर्ज न चुकाने की सजा का डर भी बना हो क्या उसे एक अपराधी की श्रेणी में रखना उचित होगा।
आपको शायद याद होगा कि 2019 में फिल्म अभिनेता राजपाल यादव को 5 करोड़ का लोन न चुकाने की वजह से 3 महीने जेल में बिताने पड़े।
लेकिन आप ये नहीं जानते होंगे, उन्हें कर्ज न चुकाने की सजा नहीं मिली थी बल्कि चेक बाउंस केस की वजह से उन्हें जेल जाना पड़ा था।
अगर आप किसी मजबूरी वश समय से लोन नहीं चुका पा रहें हैं, तो बैंक आपके खिलाफ क्या एक्शन ले सकती है। तथा आप इससे बचने के लिए कौन से कदम उठा सकते हैं, पहले इसे जान लेते हैं।
लोन न चुकाने पर बैंक क्या करेगी ?
यदि लोन की किस्त भरने में देरी होती है, तो बैंक वाले फोन और ईमेल के जरिये किस्त भरने का दबाव बनाते हैं।
लगातार तीन किस्तें न भरने पर NPA घोषित हो सकता है अगर समय की बात करें तो लोन की किस्त भरने की तारीख से 90 दिनों तक पैसा जमा करने पर NPA होता है।

बैंक लोन लेने वाले व्यक्ति के पास नोटिस भेजती है और दोबारा लोन भरने के लिए दिनों का समय देती है। इतने समय तक भी यदि व्यक्ति अपनी किस्त भर देता है, तो कोई कोर्ट केस नहीं होता है।
लेनदार की क्या जिम्मेदारी है ?
कर्ज लेने वाले व्यक्ति के पास यदि वाकई में मजबूरी है तो व्यक्ति की जिम्मेदारी बनती है कि इसकी जानकारी बैंक को दें।
बैंक लेनदार को लोन भरने के लिए और समय दे सकती है। इसके अलावा यदि व्यक्ति के ऊपर EMI का बोझ अधिक पड़ रहा है तो EMI को बैंक कम कर सकती है।
वास्तव में बैंक कर्ज नहीं माफ करती बल्कि EMI के टर्म को बढ़ा देती है, जिससे emi कम हो जाती है।
अब कर्ज न चुकाने की सजा क्या हो सकती है इसके बारे में जान लेते हैं।
कर्ज न चुकाने की सजा
2014 में RBI ने अपनी एक गाइडलाइंस जारी करके बताया कि, यदि लेनदार (लोन लेने वाला व्यक्ति), लोन चुकाने के योग्य हो और जानबूझ कर लोन न चुका रहा हो तो उसे आईपीसी की धारा 403 और 415 के तहत कर्ज न चुकाने की सजा मिल सकती है।
लेकिन यदि लोन की रकम 25 लाख रुपये से अधिक है तभी ये दोनों धारा उस पर लगायी जायेगी। एक मजबूर व्यक्ति पर किसी प्रकार की सजा का प्रावधान नहीं है जिसका बहुत कम का लोन है।
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इसके अलावा भी RBI ने कई गाइडलाइन जारी की है जैसे वसूली एजेंट असभ्य और गैर कानूनी तरीका नहीं अपना सकते हैं, इसके अलावा लोन के लिए रात्रि में फोन पर मनाही है।
DRT की स्थापना
लोन की रिकवरी के लिए भारत सरकार ने ऋण वसूली अधिनियम 1993 के तहत DRT की स्थापना की, जिसमें लोन रिकवरी से जुड़े केस दर्ज होते हैं। डेब्ट रिकवरी ट्रिबिनल (DRT) एक प्रकार की स्पेशल कोर्ट होती है।
ध्यान देने वाली बात है कि, इसमें भी 20 लाख से अधिक लोन की रिकवरी के लिए केस दर्ज होता है।
कर्ज न चुकाने की सजा अधिकतर जानबूझ कर धोखाधड़ी करने वालों को मिलती है जो कि, धारा 403 और 415 लगा कर दी जाती है। बिना धोखाधड़ी में शामिल कोई मजबूर इंसान लोन न चुका पाये तो उसे कर्ज न चुकाने की सजा का प्रावधान नहीं है।