5 साल के बाद एलआईसी सरेंडर वैल्यू कितना देगी, इसकी कैलकुलेशन आमतौर पर लोग गलत ही करते हैं। कई लोग कहते हैं कि यदि आपने, अपनी पॉलिसी को पांच साल में सरेंडर करवाया तो, जमा पैसा भी वापस नहीं मिलेगा।
और अन्य लोगों का मानना है कि 5 साल के बाद एलआईसी सरेंडर वैल्यू में, ब्याज भी जोड़ कर देती है। किसकी बात कितनी सही है और वास्तविकता क्या है यह आज आपको पता चलेगा।
यह बात सच है कि जब भी आप अपनी पॉलिसी बीच में बंद करते हैं तो कुछ ना कुछ नुकसान उठाना ही पड़ता है। लेकिन पॉलिसी सरेंडर का फार्मूला यह बताता है कि, जितने अधिक वर्षों तक आप प्रीमियम को जमा करते हैं उतना ही कम नुकसान होता है।
अक्सर देखा गया है कि लगभग 7 या 8 वर्षों के बाद आपको लाभ भी मिलना शुरू हो जाता है।
5 साल के बाद एलआईसी सरेंडर वैल्यू
आपके लिए यह जानना जरूरी है कि, टर्म प्लान को सरेंडर करने पर कोई पैसे की वापसी नहीं होती है। लेकिन यदि आप अन्य किसी प्लान जैसे यूलिप, इंडोमेंट प्लान, होल लाइफ प्लान आदि को सरेंडर करते हैं तो जरूर एक निश्चित अमाउंट आपको मिलता है।
5 साल के बाद एलआईसी सरेंडर वैल्यू लगभग, आपके जमा प्रीमियम का 85 से 90% तक का भुगतान एलआईसी सुनिश्चित करती है। लेकिन सभी का सरेंडर वैल्यू एक समान नहीं होता है इसे समझने के लिए आपको पॉलिसी सरेंडर का फार्मूला समझना जरूरी है।
एलआईसी पॉलिसी सरेंडर का फार्मूला बताने से पहले मैं आपको यह याद दिलाना चाहता हूं कि, आईआरडीएआई के नियम के अनुसार 31 जनवरी 2020 के बाद ली जाने वाली सारी पॉलिसी का सरेंडर आप 2 वर्षों के बाद ही करा सकते हैं।
5 साल के बाद एलआईसी सरेंडर वैल्यू को समझने के लिए आपको यह जानना पड़ेगा की सरेंडर वैल्यू का कैलकुलेशन दो प्रकार से होता है।
1 – गारंटीड सरेंडर वैल्यू
2 – स्पेशल सरेंडर वैल्यू

गारंटीड सरेंडर वैल्यू
गारंटीड सरेंडर वैल्यू में पहले वर्ष का प्रीमियम छोड़कर बाकी प्रीमियम के 30 प्रतिशत का भुगतान गारंटी के साथ होता है।
यह न्यूनतम अमाउंट होता है जो सरेंडर होने पर बीमा कंपनी देती है और यह मुख्य तौर पर 3 वर्ष पूर्ण होने पर मिलता है।
स्पेशल सरेंडर वैल्यू
वास्तविकता बताएं तो आमतौर पर स्पेशल सरेंडर वैल्यू की गणना होती है जब आप कोई पॉलिसी सरेंडर करते हैं। क्योंकि यदि पॉलिसी का पेड अप वैल्यू शून्य हो गया तो गारंटीड और स्पेशल सरेंडर वैल्यू बराबर हो जाएंगे।
वैसे तो स्पेशल सरेंडर वैल्यू हमेशा गारंटी सरेंडर वैल्यू से अधिक होता है।
अगर आप यहां पर कंफ्यूज हो रहे हैं तो आपको 2 टर्म, पेड अप वैल्यू और सरेंडर वैल्यू फैक्टर को समझ लेना चाहिए।
पेड अप वैल्यू
यदि कुछ प्रीमियम भरने के बाद आपने प्रीमियम देना बंद कर दिया तो समय के साथ आपके बीमधन की वैल्यू घटने लगती है, यही घटी हुई वैल्यू पेड अप वैल्यू कहलाती है। एक उदाहरण से आप सब कुछ आसानी से समझ जाएंगे।
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मान लीजिए रमेश ने 4 लाख की पॉलिसी 20 वर्ष के टर्म के साथ लिया और 5 वर्ष प्रीमियम भरने के बाद उसने कोई प्रीमियम नहीं दिया।
पेड अप वैल्यू= बीमाधन × प्रीमियम जमा वर्ष / टोटल टर्म
पेडअप वैल्यू = 400000×5/20 = 100000
इस प्रकार से केवल 5 वर्ष प्रीमियम भरने से पेडअप वैल्यू, 4 लाख से घटकर 1 लाख रह जाती है।
सरेंडर वैल्यू फैक्टर
पॉलिसी सरेंडर का फार्मूला ठीक से समझने के लिए आपको सरेंडर वैल्यू फैक्टर के बारे में भी जानना जरूरी है। सरेंडर वैल्यू फैक्टर का निर्धारण बीमा कंपनी स्वयं करते हैं इसलिए अलग-अलग बीमा कंपनियों के सरेंडर वैल्यू में अंतर देखने को मिलता है।
आईआरडीएआई का सरेंडर वैल्यू फैक्टर निर्धारण में कोई रोल नहीं होता है। आमतौर पर बीमा कंपनियां इसे 30 या 40 प्रतिशत रखती हैं।
5 साल के बाद एलआईसी सरेंडर वैल्यू कितना देगी इसे हम इस फार्मूले से आसानी से निकाल सकते हैं।
सरेंडर वैल्यू फार्मूला = (पेडअप वैल्यू + बोनस)× सरेंडर वैल्यू फैक्टर
इस प्रकार से यदि आप समय पर अपना प्रीमियम रहेंगे तो, 5 साल के बाद एलआईसी सरेंडर वैल्यू आपको अधिक मिलेगी बजाय इसके कि आप बीच में गैप कर दें।