एनपीए खाता क्या है और इसे जानना आपके लिए जरूरी है, यदि आपको कभी बैंक से लोन लिया है या भविष्य में लोन लेने वाले हैं। वास्तव में लोग एनपीए के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं।
उन्हे लगता कि, यदि हमने किसी महीने लोन की किस्त नहीं जमा की तो हमारा खाता एनपीए खाता बन जायेगा।
किन्तु ऐसा नहीं है और न ही इतनी जल्दी घबराने की जरूरत है क्योंकि वास्तविक दुनिया में लोन की किस्त या अन्य बिल भरने में देर-सबेर हो ही जाती है।
एनपीए खाता क्या है जब तक इसे नहीं समझेगें तब तक शंका हमारे दिमाग में घूमती रहेगी।
एनपीए खाता क्या है ?
भारतीय रिज़र्व बैंक की गाइडलाइन बताती हैं कि, जब किसी लोन की किस्त लगातार तीन महीने तक न जमा हों तो वह खाता एनपीए खाता बन जाता है।
एनपीए खाते को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है।
1 – सब स्टैन्डर्ड (sub-standard )
2 – दुविधापूर्ण एनपीए ( doubtful NPA )
3 – लॉस असेट ( loss-assets )

सब स्टैण्डर्ड एनपीए
यदि कोई व्यक्ति 1 वर्ष तक लोन न चुकाये तो वह सब स्टैण्डर्ड एनपीए की श्रेणी में आता है।
दुविधापूर्ण एनपीए
यदि एक वर्ष के बाद भी लोन के खाते में पैसा न जमा हो तो वह दुविधापूर्ण एनपीए कहलाता है।
लॉस असेट
जब बैंक के ग्राहक पर लंबे समय तक दबाव बनाने के बाद भी लोन का पैसा वापस न मिले तो वह लॉस असेट की श्रेणी में आ जाता है।
एनपीए खाता क्या है इसे जानने के बाद कुछ लोगों को लग सकता है कि इसमें हमारा क्या नुकसान है। यह बात हम आपको समझाते हैं कि, एनपीए खाता होने से आपका क्या नुकसान हो सकता है।
एनपीए खाता होने के नुकसान
जब किसी बैंक का एनपीए बढ़ जाता है तो वह बैंक लोन देना बंद कर सकती या लोन पर ब्याज बढ़ा सकती है।
यदि कुछ लोग जानबूझ कर लोन नहीं चुकायेगें तो उसकी वजह से बहुत से लोगों का भविष्य में आर्थिक क्षति पहुँचेगी, क्योंकि इसकी वजह से बैंकिंग सिस्टम को नुकसान पहुँचता है।
व्यक्तिगत तौर पर बात करें तो यदि किसी का खाता एनपीए घोषित हो जाता है तो उसे बैंक की तरफ से नोटिस मिलती है।
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उसके बाद भी यदि लोन लेने वाला व्यक्ति कोई जवाब न दे तो बैंक के पास रखी गिरवी चीज को बेंच कर वह अपना पैसा वापस ले सकती है।
इसके पीछे भी बहुत से नियम बने हुए हैं।
ज्यादा गहराई में न जाते हुए मैं इतना कहना चाहता हूँ कि, लोगों की कोशिश रहनी चाहिए कि, उनका खाता एनपीए खाता न बनें।